Article 8 - Rights of citizenship of certain persons of Indian origin residing outside India
क्या आप कभी सोचे हैं कि अगर आपके दादा-परदादा अविभाजित भारत में पैदा हुए थे, और आप विदेश में रहते हैं, तो क्या आज भी आप भारतीय नागरिक बन सकते हैं सिर्फ़ अनुच्छेद 8 के आधार पर?
2024 में सुप्रीम कोर्ट ने इस सवाल का साफ़ जवाब दे दिया – नहीं बन सकते। लेकिन ये अनुच्छेद था क्या? क्यों बनाया गया? और अब ये बंद क्यों हो गया? आज की इस पोस्ट में हम अनुच्छेद 8 को बहुत ही आसान हिंदी में, बिल्कुल घर की बात की तरह समझेंगे। चाहे आप लॉ स्टूडेंट हों, वकील हों या आम नागरिक जो अपने अधिकार जानना चाहते हैं – सबके लिए उपयोगी है। चलिए शुरू करते हैं!
1. अनुच्छेद 8 आया कहाँ से? ऐतिहासिक कहानी
1947 में आज़ादी मिली। उस समय लाखों भारतीय बर्मा, श्रीलंका, मलेशिया, सिंगापुर, अफ्रीका, फिजी, मॉरीशस – हर जगह बसे हुए थे। इनमें से बहुत से लोग सदियों से वहाँ थे, लेकिन दिल से भारत से जुड़े थे।
संविधान सभा के सामने सवाल था –
- अनुच्छेद 5 तो भारत में रहने वालों की नागरिकता की बात करता है
- अनुच्छेद 6-7 पाकिस्तान से आए लोगों की बात करते हैं लेकिन विदेश में रहने वाले भारतीय मूल के लोग? उनके लिए कुछ नहीं था।
इसलिए 10-12 अगस्त 1949 को डॉ. आंबेडकर ने नया अनुच्छेद 5B (बाद में अनुच्छेद 8) पेश किया। अल्लादी कृष्णास्वामी अय्यर ने कहा – “ये लोग हमारे भाई-बहन हैं, इनका खून भारतीय है, इनके साथ रिश्ता बनाए रखना चाहिए।”
कुछ सदस्यों ने विरोध भी किया – “ये लोग विदेश में रहकर अच्छा कमा रहे हैं, इन्हें स्पेशल ट्रीटमेंट क्यों?” लेकिन 12 अगस्त 1949 को अनुच्छेद बिना किसी बदलाव के पास हो गया।
2. अनुच्छेद 8 में लिखा क्या है? (आसान भाषा में)
“अनुच्छेद 5 में कुछ भी लिखा हो, लेकिन अगर
- आप या आपके मम्मी-पापा में से कोई या दादा-दादी/नाना-नानी में से कोई 1935 के भारत (यानी अविभाजित भारत – आज का भारत + पाकिस्तान + बांग्लादेश) में पैदा हुआ था
- और आप विदेश में सामान्य रूप से रहते हैं तो आप भारतीय दूतावास या काउंसलेट में आवेदन देकर भारतीय नागरिक बन सकते हैं/बन सकते थे।”
खास बातें:
- आवेदन 26 जनवरी 1950 से पहले या बाद में भी कर सकते थे
- दूतावास वाले रजिस्टर करते थे
- एक बार रजिस्टर हो गए तो पूरा भारतीय नागरिक – वोट डालो, प्रॉपर्टी खरीदो, बिना वीजा आओ-जाओ
3. पहले ये अनुच्छेद कितना काम का था? फायदे क्या थे?
1950-60 के दशक में हजारों लोग इसका फायदा उठाए:
- बिना वीजा भारत आना-जाना
- भारत में प्रॉपर्टी खरीदना
- बच्चों को भारत में पढ़ाना
- भारत में बिजनेस करना
- वोट डालना (अगर भारत आकर रजिस्टर कराते थे)
4. रियल लाइफ उदाहरण (सच्ची कहानियाँ)
उदाहरण 1: फिजी का राम दयाल (1950 के दशक) राम दयाल के दादा गुजरात से फिजी गिरमिटिया मजदूर के रूप में गए थे। 1955 में राम दयाल ने फिजी में भारतीय हाई कमीशन में आवेदन किया। रजिस्ट्रेशन हुआ। वो आजीवन भारतीय पासपोर्ट पर भारत आते-जाते रहे और मुंबई में फ्लैट भी खरीदा।
उदाहरण 2: केन्या की लक्ष्मी बहन (1962) लक्ष्मी के पिता गुजरात में पैदा हुए थे। 1962 में केन्या में भारतीय दूतावास में रजिस्ट्रेशन कराया। बाद में वो भारत आकर अहमदाबाद में बस गईं और भारतीय नागरिक के सारे अधिकार मिले।
उदाहरण 3: मलेशिया का अहमद हुसैन (1958) अहमद हुसैन के नाना लखनऊ में पैदा हुए थे। मलेशिया में रजिस्ट्रेशन कराया। बाद में भारत आकर नौकरी की और बच्चों को IIT में पढ़ाया।
उदाहरण 4: सिंगापुर का प्रणव श्रीनिवासन (2024 केस – जो हार गए) प्रणव का जन्म 1999 में सिंगापुर में हुआ। उसके मम्मी-पापा 1998 में सिंगापुर सिटीजन बन गए थे। 2017 में प्रणव ने अनुच्छेद 8 के आधार पर नागरिकता मांगी। पहले मद्रास हाई कोर्ट ने दे दी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने पलट दिया। कहा – “अनुच्छेद 8 सिर्फ़ 26 जनवरी 1950 को विदेश में रह रहे लोगों के लिए था, बाद में पैदा हुए बच्चों के लिए नहीं।”
उदाहरण 5: यूके का एक गुजराती परिवार (2000 का दशक) कई परिवारों ने सोचा कि दादाजी भावनगर में पैदा हुए थे तो पोते-पोतियाँ अनुच्छेद 8 से नागरिक बन जाएँगी। आवेदन किए, लेकिन अब दूतावास सीधे मना कर देता है – सुप्रीम कोर्ट का फैसला दिखाकर।
5. अक्टूबर 2024 का सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला (Union of India vs Pranav Srinivasan)
केस की पूरी कहानी:
- प्रणव सिंगापुर में पैदा हुए
- माता-पिता पहले से सिंगापुर सिटीजन
- 18 साल की उम्र में Citizenship Act की धारा 8(2) के तहत आवेदन → रिजेक्ट
- मद्रास हाई कोर्ट ने दे दी नागरिकता
- केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट गई
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा? (मुख्य पॉइंट्स बहुत आसान भाषा में)
- अनुच्छेद 8 में लिखा है “जो मामूली तौर पर निवास कर रहा है” – ये present tense है, यानी 26 जनवरी 1950 को जो विदेश में रह रहा था, उसी के लिए।
- अगर बाद में पैदा हुए बच्चों को भी दे दिया तो बेतुके नतीजे आएँगे – मिसाल: 2050 में पैदा हुआ कोई बच्चा जिसके पर-परदादा लाहौर में पैदा हुए थे, वो भी भारतीय नागरिक बन जाएगा!
- संविधान बनाने वालों का इरादा सिर्फ़ 1950 के आसपास के प्रवासियों को जोड़ना था, हमेशा-हमेशा के लिए नहीं।
- डी.डी. बसु जैसे बड़े विद्वान भी यही कहते थे – ये transitional provision था।
- फैसला: अनुच्छेद 8 अब किसी नए व्यक्ति के लिए लागू नहीं होता।
6. अब विदेश में रहने वाले भारतीय मूल के लोग नागरिकता कैसे लें?
अब अनुच्छेद 8 बंद है, तो रास्ते क्या बचे?
- OCI कार्ड (Overseas Citizen of India) सबसे पॉपुलर। लगभग सारी सुविधाएँ – बिना वीजा आना-जाना, प्रॉपर्टी खरीदना, नौकरी (प्राइवेट), बिजनेस। सिर्फ़ वोट नहीं डाल सकते और सरकारी नौकरी नहीं कर सकते।
- नागरिकता अधिनियम 1955 के तहत
- अगर माता-पिता में से कोई भारतीय नागरिक रहे हों तो जन्म से नागरिकता
- रजिस्ट्रेशन या नेचुरलाइजेशन से (5-12 साल भारत में रहना पड़ेगा)
- CAA 2019 के तहत (पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान से आए कुछ धर्मों के लोग)
7. आम सवाल-जवाब (FAQ)
प्रश्न: मेरे दादाजी लाहौर में पैदा हुए थे, मैं लंदन में रहता हूँ, क्या मैं अनुच्छेद 8 से नागरिक बन सकता हूँ? उत्तर: नहीं। सुप्रीम कोर्ट ने साफ़ कह दिया – सिर्फ़ 1950 में जीवित और विदेश में रह रहे लोगों के लिए था।
प्रश्न: पहले जो लोग अनुच्छेद 8 से नागरिक बने थे, उनकी नागरिकता जाएगी क्या? उत्तर: बिल्कुल नहीं। जो पहले रजिस्टर हो चुके, उनकी नागरिकता पूरी तरह सुरक्षित है।
प्रश्न: OCI और अनुच्छेद 8 में फर्क क्या है? उत्तर: अनुच्छेद 8 से मिली नागरिकता = पूरा भारतीय नागरिक (वोट + सरकारी नौकरी भी) OCI = लगभग सारी सुविधाएँ, लेकिन तकनीकी रूप से विदेशी नागरिक।
प्रश्न: क्या सरकार अनुच्छेद 8 को दोबारा शुरू कर सकती है? उत्तर: संविधान में बदलाव करके शायद, लेकिन अभी कोई ऐसा प्रस्ताव नहीं है।
निष्कर्ष – अनुच्छेद 8 की विरासत
अनुच्छेद 8 अपने समय का बहुत प्रगतिशील और दूरंदेशी प्रावधान था। इसने 1950-60 के दशक में हजारों प्रवासी भारतीयों को मातृभूमि से जोड़े रखा। लेकिन समय बदला, नागरिकता के नए कानून आए, और सुप्रीम कोर्ट ने साफ़ कर दिया कि ये एक “संक्रमण कालीन” (temporary) प्रावधान था – हमेशा के लिए नहीं।
आज ये अनुच्छेद हमें याद दिलाता है कि हमारा संविधान कितना जीवंत है – वो समय के साथ व्याख्या होता रहता है। प्रवासी भारतीयों के लिए अब OCI सबसे अच्छा विकल्प है, और वो भी बहुत ताकतवर है।
अगर आपके परिवार में कोई ऐसा केस है या कोई सवाल है, तो कमेंट जरूर करें। शेयर करें ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग सही जानकारी पा सकें।
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